जय श्री बाबा लाल जी,
संसार में मूल भूत सत्ता तो सिर्फ महादेव की ही है जो स्वयं में अनादि, अनंत व् शाश्वत है, बाकी सब माया का वाचस्व है, वस्तुत आत्मा भी परमात्मा के सत्य का ही स्वरुप है पर माया पर मोहित होने के कारण जीवन से जुडी है, यद्यपि जीवन एक कठिन सत्य है पर यहाँ भ्रम की सत्ता है इसी कारण जीवात्मा स्वयं से भिन्न शरीर को निकटतम मान इस बंधन से जुडी रहती है , सत पुरुषो की संगत में आने से यह पुनः अपनी खोई हुई चेतना को पा कर मुक्त होने का कारण बन सकती है,
जय सत गुरु श्री बाबा लाल दयाल जी
संसार में मूल भूत सत्ता तो सिर्फ महादेव की ही है जो स्वयं में अनादि, अनंत व् शाश्वत है, बाकी सब माया का वाचस्व है, वस्तुत आत्मा भी परमात्मा के सत्य का ही स्वरुप है पर माया पर मोहित होने के कारण जीवन से जुडी है, यद्यपि जीवन एक कठिन सत्य है पर यहाँ भ्रम की सत्ता है इसी कारण जीवात्मा स्वयं से भिन्न शरीर को निकटतम मान इस बंधन से जुडी रहती है , सत पुरुषो की संगत में आने से यह पुनः अपनी खोई हुई चेतना को पा कर मुक्त होने का कारण बन सकती है,
जय सत गुरु श्री बाबा लाल दयाल जी