जय श्री बाबा लाल जी
संतो का ह्रदय सदा ही सेवा भाव से ओत प्रोत रहता है
वह दूसरे के दुख से भी अति दुखित हो जाते है
पर दुष्ट प्राणी अपनी दुष्टता से संतो को भी मुक्त नहीं रखते
एक बार संत ह्रदय हंस ने एक राक्षस रूपी चूहे को चारो तरफ अग्नि में घिरा जलता देख
तुरंत ही अपनी जान की परवाह किये बिना उस अग्नि में कूद उस चूहे को उडा अपने पंखों के स्पर्श में रख आकाश में उड़ चला
उसे सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए
पर दुष्ट चूहे ने राह में ही उस हंस के पर क़तर दिए
संसार के मोह जाल में फेज जीव व् चूहे में बहुत अधिक फरक नहीं होता
श्री सात गुरु बाबा लाल दयाल जी सभी पर कृपा करे