देखत हनूमान अति हरषेउ
पुलक गात लोचन जल बरषेउ
मन महँ बहुत भाँति सुख मानी
मन महँ बहुत भाँति सुख मानी
बोलेउ श्रवन सुधा सम बानी
जासु बिरहँ सोचहु दिन राती
जासु बिरहँ सोचहु दिन राती
रटहु निरंतर गुन गन पाँती
रघुकुल तिलक सुजन सुखदाता
रघुकुल तिलक सुजन सुखदाता
आयउ कुसल देव मुनि त्राता
रिपु रन जीति सुजस सुर गावत
रिपु रन जीति सुजस सुर गावत
सीता सहित अनुज प्रभु आवत
जय श्री बाबा लाल जी